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23 Jul 2025, Wed

मप्र सरकार के मंत्री विजय शाह पर कार्रवाई न करके भाजपा ने खुद को भी बनाया अपराधी!

कार्रवाई

कर्नल सफ़ारीथ के बारे में फ़ौहाद टिप्पणी करने वाले ज़ोडेट प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह के मामले में बीजेपी पूरी तरह से विफल हो गई है। और, ऐसा मत सोचो कि ये ग़लत अनजाने में हुआ है। विफलता होना तो अपराध ही होता है. उच्च न्यायालय ने स्वतः ट्रांसफार्मर ले लिया, सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत कुछ खरीदा लेकिन भाजपा के हाथ धरे व्यापार में रही। अब अगर बीजेपी एक्शन भी ले ले, तो वो विजय शाह के माफनामे जैसा ही होगा.

मौन को अक्सर सहमति का प्रतीक माना जाता है। और, इस खाते से देखें तो विजय शाह के खिलाफ बीजेपी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो समर्थन देना ही होगा

ये ठीक है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के साथ अलकमान तक खफा है, लेकिन जब सार्वजनिक तौर पर कोई कार्रवाई नहीं दिखाई गई तो क्या समझा जाए?

जब प्रधानमंत्री नरेंद ऑपरेशन सिन्दूर में लगे ताले और टुकड़ों की प्रशंसाअफजाई के लिए सुबह-सुबह एयरबेस रीच होन, देश भर में ऐसी यात्रा कर रहे हों, देश भर में मंत्री विजय शाह के कर्नल सोनम कपूर की दोस्ती, और उनके सहयोगी प्रभाव से एक्शन न लेना हो, ऐसा ही लगता है जैसे अपने नेता की कोशिश हो रही हो।

जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संदेश में सेना के पराक्रम की ताकत नहीं दिखाई, तो ऑपरेशन सिन्दूर को भविष्य के लिए भी उदाहरण देते हुए बताया, विजय शाह ने अपने जोशीले भाषण में कहा, “… जिन लोगों ने हमारी बेटी का सिन्दूर उजाड़ा था, मोदी जी ने उनकी बहन की ऐसी तैसी कर दी।”

 

पूरी घटना पर नजर डालने पर मुख्यतः तीन बातें समझ में रही हैं .

 

कर्नल जोसेफ़ पर मप्र के मंत्री विजय की किर्किरी उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुई है।

बीजेपी की विजय शाह पर एक्शन न करना तब और भी चौंकाने वाला है, बाकी पर एक्शन की कमान खुद पीएम मोदी ने रखी है.

ऐसा तो लगता है, जैसे विजय शाह को न तो ऑपरेशन में सिन्दूर की मिट्टी की परवाह है, न देश की – ऐसे में विजय शाह का बयान तो प्रधानमंत्री की भी बेइज़्ज़ती है।

यह मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब उच्च न्यायालय के आदेश पर मूर्तिकार दर्ज हो जाने के बावजूद विजय शाह मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं होते – और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पद से हटाने के लिए राज्यपाल को धन्यवाद नहीं दिया जाता।

 

हाई कोर्ट में महाधिवक्ता की दलील से क्या शिकायत?

 

विजय शाह के खिलाफ बीजेपी ने एक्शन न लिया, और हाई कोर्ट में महाधिवक्ता के मंत्री के डिफ्रेंस में डील को अंतिम रूप दिया गया क्या समझा जाए?

कर्नल जोसेफ़ की भारी सभा में कैटरीना की बहन का बयान, ये विजय शाह का राजनीतिक बयान क्या है? और, ये सब वो यूं ही बोल रहे थे, जैसा कि माफ़ीनामे में कहा गया है।

हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के सामने मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को पेश किया जा रहा था, मीडिया में प्रकाशित खबरें ब्रेक-मोरोडकर पेश की गई थीं, इसलिए ध्यान नहीं देना चाहिए. जाँच होनहार जन्मदिन. वो बार-बार कोर्ट से समय मांग रहे थे.

और टैब में जस्टिस अतुल श्रीधरन ने बात की, उन्होंने खुले मंच से ये शेयरहोल्डर की पुष्टि की, और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। अब सफ़ाई की कोई सुविधा नहीं होगी।

हाई कोर्ट का फेल है, कर्नल सूथ राष्ट्र की गौरवशाली बेटी है… उसे पहले गाम हमलों में 26 लोगों की हत्या करने वाले सासंद की बहन के रूप में आरोपित किया गया कि वो मुस्लिम है, मंत्री की गेटर की भाषा है… इस महिला अधिकारी का अपमान हुआ, ये भारतीय सेना की गरिमा और राष्ट्रीय एकता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया गया है। इस देश की एकता, अखण्डता, संप्रभुता के लिए खतरनाक है।

और, यही बात सुप्रीम कोर्ट में भी देखने को मिल गई. जब विजय शाह सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेश दिए गए, तो सीजे हुए बीयर गवई ने नेपोलियन ने कहा, आप किस तरह का बयान दे रहे हैं? आप मंत्री हैं। मंत्री किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं? यह किस मंत्री को शोभा देता है?

विजय शाह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल ने माफ़ी माँग ली है।

वकील की याचिका यह भी जारी है कि उच्च न्यायालय में आदेश पारित करने से पहले नहीं सुना गया। और आरोप लगाया, मीडिया ने अपना बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया, हैमीडिया ने इसे ओवर हाईप कर दिया।

 

विजय शाह को बचाने की कोशिश क्यों?

 

सरकारी वकील के हाई कोर्ट में मीडिया के जनरल अनाधिकृत करने की कोशिश और बीजेपी अलाकमान की तरफ से कार्रवाई नहीं की गई, ये तो बता रहा है कि हर स्तर पर विजय शाह को बचाने की कोशिश हुई है।

11 मई को विजय शाह ने महू के रायकुंडा में कर्नल जोसेफ़ मैक्सिम का नाम लेकर टिप्पणी की थी। अगल दिन विजय शाह के बयान पर चौतरफ़ा हंगामा मचा रहा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 13 मई को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शाह को तलब किया, लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कुछ देर बाद विजय शाह ने मीडिया के सामने अपनी दलीलें देकर खेद व्यक्त किया। उसी दिन बाद विजय शाह का माफ़नामे का वीडियो आया, जिसमें वो माफ़ तो मांग रहे थे, लेकिन हंस भी रहे थे।

बीजेपी नेता दिन भर डैमेज कंट्रोल में कैथोलिक रह रहे थे, और फिर रात 10 बजे बीजेपी नेताओं की एक टीम कर्नल सोलोवाड के घर नौगांव और परिवार के लोगों से मुलाकात की।

मुलाकात के दौरान बीजेपी नेताओं ने कहा कि सोफिया हमारे देश की बेटी हैं, और उन्हें गर्व है।

देखकर तो यही लग रहा है कि बीजेपी की तरफ से सिर्फ आजादी की कोशिशें हुई हैं, एक्शन जैसी कोई कोशिश तो कहीं नजर भी नहीं आती।

एफआईआर अगर दर्ज हुई है तो हाई कोर्ट की तरफ से कहा जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा था कि 4 घंटे में पुलिस शिकायत दर्ज की जाए, लेकिन पूरी सुनवाई के दौरान ज्यादातर जगह ही सुनवाई हुई।

विजय शाह के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की तीन गंभीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है – धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत।

बीएनएस की धारा 152 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य के खिलाफ है – और अगर विजय शाह को अदालत में दोषी पाया गया, तो सामान्य खिलाड़ी की सजा या ज्यादातर सात साल की जेल हो सकती है।

जरा सोचिए, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहली नजर में जिसे इतना गंभीर अपराध माना है, पुलिस ने भी कोर्ट में दबाव में शिकायत दर्ज कर ली है – लेकिन मध्य प्रदेश सरकार और बीजेपी विजय शाह को अब भी संदेह का लाभ देना और देना चाहता है।

और बस इतना ही नही आज तक के एक शो में जब बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु छात्र से सवाल पूछा गया तो बोले कि माफ़ी तो मांग ली है. और अधिक पढ़ें अपनी तरफ से बोल से वो कुछ घटनाएं भी अजमाईन लगे थे, लेकिन सैटेलाइट ने बंद कर दी – आखिर उस बीजेपी नेता के बचाव में भी क्यों हो रही है, जिसने पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा ही दांव पर लगा दी हो।

 

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